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hyperloop तकनीक क्या है? और यह किस प्रकार से काम करती है तथा hyperloop भारत में कब तक आ सकती है?-in hindi

 hyperloop: -

 

 hyperloop तकनीक क्या हैऔर यह किस प्रकार से काम करती है तथा hyperloop भारत में कब तक आ सकती है?-in hindi

सोचिए आपको यदि 200 km का सफर तय करना है, और आप यह सफर सिर्फ 20-30 min में पूरा करलें। यह आपको काल्पनिक लग सकता है। पर यह अब हकीकत बनने जा रही है। नव निर्मित तकनीक hyperloop technology की मदद से। जहां दुनिया में अभी hyperloop technology ट्रायल चालू  है वहीं भारत में hyperloop technology 2023 तक पूर्ण रूप से आ सकते हैं।




 अमेरिका के एक शहर है Las-Vegas में hyperloop technology का मानव सहित सफल परीक्षण किया गया है जिससे यह साफ हो जाता है कि hyperloop technology  मानव के लिए ही बनाया गया है तथा यह hyperloop technology मानव के हिसाब से सुरक्षित भी है। hyperloop technology ट्रांसपोर्टेशन का एक नया और सबसे तेज तकनीक बनने जा रहा है। hyperloop technology Transportations के सभी आयामों को तोड़कर एक subconscious (अचेतन) आयाम बनाने जा रही है, hyperloop अब तक का सबसे तेज चलने वाली Transportations की तकनीक होगी।

hyperloop तकनीक ट्रेन और हवाई जहाज से भी ज्यादा तेज होगी, जहां हवाई जहाज की रफ्तार 600 से 700 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, वहीं इस hyperloop की रफ्तार 1100 से लेकर 1200 किलोमीटर प्रति घंटा तक अधिकतम हो सकती है। hyperloop तकनीक की मदद से बहुत ही ज्यादा लंबी दूरी सिर्फ कुछ मिनटों में ही तय हो पाएगी।

 

1. hyperloop क्या है?(Hyperloop kya h?) :-


इस यंत्र को hyperloop का नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इसमें परिवहन एक Loop या सिल्ड ट्यूब्स के माध्यम से होता है जो पूरी तरह से सिल्ड होती है जिसमें जिसके अंदर हवा को निकालने के लिए कुछ पाइप्स लगी होती है। hyperloop तकनीक परिवहन के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए बनाई गई है जिसने परिवहन को एक नया आयाम दे दिया है। hyperloop में परिवहन बहुत ही तेज गति से हो सकता है ।

                                          

hyperloop तकनीक ट्रांसपोर्टेशन का एक अत्याधुनिक माध्यम है, जो अब तक का सबसे तेज माध्यम बनने जा रहा है hyperloop तकनीक वह तकनीक है जिसमें एक ट्यूब की एक सीरीज  बनी होती है। hyperloop तकनीक में सिल्ड-ट्यूब्स होती है जिसके जरिए बोगी या फिर पॉड्स बिना किसी एयर-रेजिस्टेंस और फ्रिक्शन के चल सकते है । इन बोगियो या पॉड्स में लोगों को बैठाया जा सकता है,  क्योंकि hyperloop परिवहन की गति बहुत ही अत्यधिक तेज होती है इसलिए इसके ट्रैक को बिलकुल सीधा रखा जाता है या सिल्ड-ट्यूब को।

 

 

2.hyperloop तकनीक की कार्य विधि: -


hyperloop तकनीक चुंबकीय शक्ति पर आधारित एक नवनिर्मित अत्याधुनिक तकनीक है। hyperloop तकनीकी में कोई चक्के नहीं होती और ना ही कोई एयर रेजिस्टेंस और फ्रिक्शन होती है जिसके कारण hyperloop 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे की तरफ बढ़ता है।

hyperloop तकनीक में बड़े-बड़े सिल्ड पाइप्स में एक कैप्सूल के समान दिखने वाले बोगी या पॉड्स को उसके अंदर बहुत तेज गति से चलाया जाता है। यह कैप्सूल के समान दिखने वाले बोगी या पॉड्स यात्रियों को बैठाकर 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से परिवहन करते है।

   


hyperloop तकनीक में जो बड़े-बड़े सिल्ड् पाइप होते हैं उनके अंदर दो रेल की पटरी के समान बड़े पटरीयाँ लगे होते हैं जिसके अंदर कैप्सूल के समान दिखने वाले बोगी या पॉड्स हवाँ से कुछ ऊंचाई पर हवा में तैरने लगते हैं जिससे hyperloop बहुत ही आसानी से बिना फिक्शन के आगे की ओर बढ सकते है।

hyperloop तकनीक में कैप्सूल के सामने की तरफ एक बड़ा सा पंखा लगा होता है जिससे कि हवा को चिरता हुआ आगे की ओर बढ़ सकता है और इसके विपरीत दिशा में घुमाने पर hyperloop की गति को धीमा भी किया जा सकता है। जिससे यह रुकता भी है।

 

3. hyperloop तकनीकी भारत में वर्तमान स्थिति(hyperloop india): -

 

भारत में पहले  hyperloop india में तकनीक  मुंबई से पुणे के बीच आरंभ करने की स्वीकृति दे दी गई थी, लेकिन अभी फिलहाल के लिए यह इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया है। इस प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में 5000 करोड़ रुपए की लागत से एक Demo प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि मुंबई से पुणे के बीच जहां पर hyperloop india में तकनीक को विकसित होगा या नही। जिसकी  दूरी करीब 11 किलोमीटर की होगी।

                                    


यदि यह डेमो प्रोजेक्ट से सफल रहा तो मुंबई से पुणे के बीच से प्रारंभ होने वाली है। वह hyperloop india में तकनीक से मुंबई से पुणे के बीच की दूरी मात्र 20 से 30 मिनट की रह जाएगी।

 

4. दुनिया के और कौन से देशों में hyperloop तकनीक प्रारंभ है?:-



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दुनिया के सबसे विकसित देशों में शुमार देशों ने इस hyperloop तकनीक को प्रस्तावित दे दिया है और तथा इनमें सर्वप्रथम नाम है-अमेरिका कनाडा, सऊदी अरब और यूएई। इन देशो ने hyperloop तकनी कों कल्पना से उतारकर हकीकत में लाने के लिए काम पर लगी हुई है तथा सर्वप्रथम यूएई में दुबई से आबू धाबी के बीच शेक हाय पल्लू परियोजना पर कार्य प्रारंभ भी हो चुका है।

 

5. हाइपरलूप शीर्ष गति (hyperloop top speed):-

hyperloop को इसकी अधिकतम स्पीड पर टेस्ट नहीं किया गया है लेकिन इसने अपनी अधिकतम स्पीड 760 किलोमीटर पर की रखी है, hyperloop को टेस्ट करते समय। अनुमान यह लगाया जा रहा है कि hyperloop  के लिए यह स्पीड काफी सुरक्षित रहेगी। क्योंकि hyperloop मानव के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर किस प्रकार हानिकारक है, इसका पता नहीं लग पाने के कारण hyperloop के speed 760 किलोमीटर के रखने के लिए तय किया गया है।


6. नवनिर्मित hyperloop तकनीक की खासियते: -

a.      *  hyperloop परिवहन में अब तक का सबसे तेज चलने वाला वाहन होगा जो ट्रेन है और हवाई जहाज से दो से तीन गुना ज्यादा अधिक गति से चलेगा।

b.      *  ट्रेन और हवाई जहाज से भिन्न hyperloop सिर्फ अपने निश्चित स्थान से निश्चित स्थान तक जाएगा और कम समय में अधिक दूरी तय करेगा।

c.       * hyperloop पूर्ण रूप से पर्यावरण के अनुकूल बनेगा क्योंकि इसमें प्रदूषण बिल्कुल भी नहीं होगा और hyperloop शोर भी उत्पन्न नहीं करेगा ।


 7. 7. hyperloop तकनीक से हमें पहुंचने वाले महत्वपूर्ण लाभ: -

a.      *  hyperloop तकनीकी सबसे बड़ा। लाभ यह है कि hyperloop हमें बहुत कम समय में बहुत अधिक दूरी तय करने में मदद करेगा तथा hyperloop बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था के हिसाब से बहुत ही तेज साबित होगा।

b.       * हम हमने पिछले 100 वर्षों में  परिवहन के नये माध्यम को नहीं खोजा है। hyperloop अब तक का सबसे नवनिर्मित परिवहन का माध्यम होगा hyperloop परिवहन को  एक नया आयाम प्रदान करेगा।

c.      *  इसकी सबसे मुख्य खासियतों में से एक है कि hyperloop प्रदूषण बिल्कुल भी नहीं करेगा क्योंकि hyperloop चुबंकीय शक्ति पर आधारित  परिवहन की तकनीक है, इसलिए इसमें प्रदूषण होने की संभावना ना के बराबर है।

d.       * नव निर्मित hyperloop तकनीक शुन्य कार्बन उत्सर्जन पर भी टिकाऊ है जिसके कारण इसे अपनाने से हमें ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 30 वर्षों में करीबन 36000 टन की कमी आने की संभावना है।

 

8. hyperloop तकनीक को भारत में स्थापित करने पर आने वाली चुनौतियाँ : -

a.     * क्योंकि hyperloop परिवहन का एकदम नया माध्यम है। इसलिए इसको बनाने में और स्थापित करने में बहुत खर्चा आएगा तथा यह खर्चे यात्रियों को यात्रा करने पर भी आ सकता है।

b.       * hyperloop तकनीक 1000 से लेकर 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। इसलिए hyperloop के सिल्ड पाइप -ट्यूब को एकदम सही दिशा में लगाना पड़ेगा जिसके कारण बहुत से जंगलों और पहाड़ियों को काटने की नौबत आ सकती है।

c.      *  सुरक्षा कारणों की वजह से hyperloop के कैप्सूल के समान दिखने वाले बोगी या पॉड्स की चोड़ाई अधिक नहीं हो पाने के कारण कम  यात्री इस में सफर कर पाएंगे जिससे इनका खर्च और बढ़ सकता है।

d.      *  hyperloop तकनीक 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगा। इसलिए इसमें इमरजेंसी ब्रेक लगाने की स्थिति में यात्रियों पर होने वाले शारीरिक और मानसिक दबाव का दबाव को लेकर अभी भी असमंजस बना हुआ है।


9. निष्कर्ष(Conclusion) :-

आशा करते हैं आपको समझ आया होगा  hyperloop तकनीक क्या है? और यह किस प्रकार से काम करती है तथा hyperloop भारत में कब तक आ सकती है? यदि hyperloop विषय में आपको कोई समस्या है तो आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और आपको यह पोस्ट कैसा लगा यह भी हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। इस पोस्ट के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी का दिल से हार्दिक धन्यवाद।

 

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